समस्त विश्व जूझ रहा, आतंक से उद्वेगों के, अव्यवस्था जनित कुंठाओं से उफनती, उबलती, वेदनाओं संवेदनाओं व मन-मस्तिष्क को लाने, सही सही ठिकाने पर ” सकारात्मक सोच '' खुश है ज्ञानियों की गोद में बैठकर '' नियंत्रित श्वसन का नियंत्रण ठोके पीठ योगियों की नई नई वैज्ञानिक तकनीकों से उपजा शक मनोचिकित्सकों के प्रयास को बिठाए सर माथे पर, परन्तु क्या वे सफल हैं?